-------"महापदम "नामक कालसर्पयोग जन्मकुंडली में तब बनता है -जब जन्मकुंडली के छठे भाव में "राहु "एवं बारहवें भाव में "केतु "हों ।साथ ही उन दोनों के बीच सातों ग्रह स्थित हों ।"महापदम "नामक कालसर्पयोग में जन्म लेने वाले जातक की मानसिक परेशानियाँ बड़ी विलक्षण होती है ।कितने लोग इन्हें कलंकित व अपमानित करने का मौका तलाशते रहते हैं ।मुसीबतों के समय वे घबराते नहीं हैं बल्कि कठोर साहस से परिस्थितियों का सामना करते हैं ,एवं आखिर में विजयी बनते हैं ।दूसरों की मदद करने के लिए वे सदैव तैयार रहते हैं ,अपने लिए अक्सर मानसिक तनाव मोल लेते रहते हैं ।इज्जत के साथ खाने ,पहनने की तकलीफ नहीं होती है ।
--------------भारत माता की जन्मकुंडली में भी कालसर्पयोग है जिस कारण से चाहे प्रधानमंत्री हों या अच्छे लोग सभी को इस योग के कारण बलिदान देने के बाद भी जीवन संघर्षमय बन जाता है ।यदि कोई विशेष पद पर आसीन होते हैं ,साथ ही उनकी कुंडली में यह कालसर्पयोग या दोष हो तो आग में घी डालने का काम हो जाता है -----इसलिए तमाम अच्छाई भी बुराई में बदल जाती है ----यही कारण हैं -बेदाग को भी दाग लग जाता है किन्तु दागी बचे रह जाते हैं ।।
------प्रेषकः पंडित कन्हैयालाल "झा शास्त्री
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