भवदीय निवेदक "ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{मेरठ उत्तर प्रदेश }

"झा शास्त्री "मेरठ {उत्तर प्रदेश }

शुक्रवार, 7 सितंबर 2012

"पातक "नामक कालसर्पयोग -के स्वभाव और प्रभाव ?

    
-------"पातक "नामक कालसर्पयोग -तब बनता है जब जन्मकुंडली के  दसवें घर में "राहु "और चौथे घर में "केतु "हो ,साथ ही उन दोनों के बीच में सूर्य के साथ -साथ सातों ग्रह स्थित हों ।-"पातक "नामक कालसर्पयोग में जन्म लेने वाले लोग वैवाहिक जीवन में अन्य सम्बन्धियों {कुटुम्बियों }की दखलन्दाजी {हस्तक्षेप}से अशांत रहते हैं ।पूर्वजों की संपत्ति मिल जाय तो कुटुम्बीजनों {खानदानी जनों } के कारण नष्ट {समाप्त }हो जाती है ।---यदि स्त्री, संतान के साथ घरेलु जीवन ठीक रहा तो कर्मक्षेत्र {रोजगार }ठीक नहीं रहेगा,किन्तु जिन लोगों का रोजगार ठीक रहता है तो घरेलु जीवन ठीक नहीं रहेगा ।
    ----------------ह्रदय रोग ,मधुमेह ,श्व्सावरोध  आदि दुखदायी राज रोग होने की सम्भावना {अत्यधिक} अधिक होती है ।
      नोट ----जिस प्रकार से वायुयान को किसी ने न देखा हो --तो उसके लिए आश्चर्य की बात हो सकती है ,किन्तु जब इन आँखों से देखलें तो फिर जीवन में सभी चीजें सत्य जैसी दिखने लगती है -----ठीक इसी प्रकार से --कालसर्पयोग -उनके लिए तो असंभव हो सकते हैं --जिन्होंने -ताजिक नीलकंठी ,मुहूर्त चिंतामणि ,जातकाभरणं ,जातक तत्वम इत्यादि गंथों को नहीं पढ़े हों या आस्था से ज्योतिष को न मानते हों -----परन्तु जिनको अपने आचार्यों ,गुरुओं ,शिक्षकों पर यकीं होता है उनके लिए संसार में सबकुछ होता है ।------जरुरत है इस आस्था रूपी ज्योतिष धरोहर को सही दिशा में ले चलने की ,किन्तु ये सर्वसम्मति के बिना अघूरी रह जाएगी ।
----------राम -राम !
भवदीय आत्मबंधु ----पंडित कन्हैयालाल "झा शास्त्री "मेरठ भारत ।

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