भवदीय निवेदक "ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{मेरठ उत्तर प्रदेश }

"झा शास्त्री "मेरठ {उत्तर प्रदेश }

सोमवार, 15 अक्तूबर 2012

"देश -विदेश "ज्योतिष "पाक्षिक विचार -16/10 से 29/10/2012-तक ?"

     "देश -विदेश "ज्योतिष "पाक्षिक विचार -16/10 से 29/10/2012-तक ?"
--तुला में पिता{सूर्य } पुत्र{शनि } के संयोग का फल ----
                   -----"तुला में आये रवि शनि ,नीच ऊँच के योग ।
                           नित उत्पात होय जग ,बाढ़ें रोग वियोग ।।{राजधानी पंचांग }
----रवि एवं शनि के अशुभ योग होने से देश -विदेशों में अनेक तरह के उत्पात होंगें ।पश्चिमी सीमा पर युद्ध उपात षड़यंत्र रचा जायेगा ।राजनीति में अकल्पित उलटफेर की सम्भावना बनेगी ।कश्मीर का मुद्दा गरमायेगा ।अन्य देश दबाब बनाने का प्रयास करेंगें ।-थाईलेंड ,मलेशिया ,सिंगापूर तथा आस्ट्रेलिया में असंभावि घटना चक्र तूफान आदि का भय व्याप्त रहेगा ।।
----तेजी मंदी ---पक्ष के शुरू में तुला की संक्रांति एवं चन्द्र दर्शन के कारण मंहगाई कम होगी किन्तु कन्या का शुक्र खेती में हानी करेगा ।
-----------सभी अनाज -चावल ,दाल ,मूंगफली ,तिल ,तेल ,घी ,बेसन ,पेठा ,उनी वस्त्र ,निर्माण की वस्तुएं ,कागज ,स्टेशनरी के भाव बढेंगें ।
  ------आकाश लक्षण ---ग्रहों के अनुसार -पक्ष के आरम्भ और अंत में मौसम ख़राब होगा ।जहाँ -तहाँ  हलकी बूंदा -बांदी से राहत मिलेगी ।पर्वतीय क्षेत्रों में ठंढ बढ़ने लगेगी ।कहीं बर्फबारी हो सकती है ।।
---------नवरात्रों में तिथि की घटा -बढ़ी होने पर पाठ का क्रम -कम ज्यादा होते हैं ,सो इसका इसका दोष नहीं होता है बल्कि उत्तम रहता है ।------
                                 "तिथि व्रेद्धो तिथि ह्रासे नवरात्रमपार्थकम । अष्ट रात्रे न दोषोयम नवरात्र तिथिक्षये ।।{निर्णय सिन्धु -334}अर्थात तिथि क्षय हो जाए तो पाठ अलग से नहीं करना चाहिए ?"
-----निवेदक पंडित कन्हैयालाल "झा शास्त्री {मेरठ -भारत }

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