भवदीय निवेदक "ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{मेरठ उत्तर प्रदेश }

"झा शास्त्री "मेरठ {उत्तर प्रदेश }

शुक्रवार, 2 नवंबर 2012

"दाम्पत्य जीवन में "कुंडली मिलान" का महत्व ?

---वैवाहिक जीवन सुखमय हो -इसके लिए कुंडली मिलान अर्थात अष्टकूटों का मिलान कराते हैं अभिभावक ।-वर्ण ,वश्य ,तारा ,योनिविचार ,ग्रहमैत्री,गुणकूट,भकूट और नाड़ी को अष्टकूट कहते हैं । इन अष्टकूटों के प्रत्येक के स्वभाव और प्रभाव जानने की कोशिश करते हैं ।
{1}-वर्ण मिलान होने से -जातीय कर्म,गुणधर्म ,स्वभाव -उत्तमप्रीति,होती है--मिलान नहीं होने पर मध्यम स्नेह एवं प्रेम का अभाव रहता है दाम्पत्य सुख में ।
{2}-वश्य मिलान होने से ---स्वभाव से एक दूसरे के वशीभूत होते हैं ।
{3}-तारा का सही मिलान होने से -भाग्य सबल होता है -अन्यथा निर्बलता रहती है ।
{4}-योनिविचार सही होने से --शारीरिक सम्बन्ध अर्थात तृप्ति रहती है मन में -अन्यथा जीवन में अतृप्ति ही रहेगी ।
{5}-ग्रहमैत्री का सही मिलान होने से --आपसी सम्बन्ध सही रहता है अन्यथा उदासीनता रहेगी ।
{6}-गुणकूट का सही मिलान होने से --सामाजिकता किसमें कितनी रहेगी अन्यथा -असामाजिक रहते है दोनों ।
{7}-भकूट का सही मिलान होने से --जीवन शैली परस्पर स्नेह सच्चा रहता है अन्यथा बनाबटी रहती है ।
{8}-नाड़ी का सही मिलान होने से --स्वास्थ दिनचर्या ,सम्बन्ध बनने पर एक दूसरे को हानि लाभ कितना रहेगा -इसका अनुमान लगाया जाता है ।
------नोट क्या हमें अपनी संगनी चयन करने में ज्योतिष मदद नहीं करती है ---क्या हमें दाम्पत्य सुख के लिए अष्टकूटों {कुंडली मिलान }के मिलान नहीं करने चाहिए ?
----निवेदक -पंडित कन्हैयालाल "झा शास्त्री "{मेरठ भारत }  

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